हमेशा "जयपुर" से शुरू करता था और न जाने कितने गिन कर सो जाता। हमेशा "जयपुर" से शुरू करता था और न जाने कितने गिन कर सो जाता।
शुक्र है कि व्यापार में मैं आगे नहीं बढ़ा, वरना वहां शायद नोट विहीन होकर रहता। शुक्र है कि व्यापार में मैं आगे नहीं बढ़ा, वरना वहां शायद नोट विहीन होकर रहता।
पर यकीन मानिए इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। पर यकीन मानिए इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
भगवान ने इस अनकहे सच को इस रूप में उसके सामने ला खड़ा किया। भगवान ने इस अनकहे सच को इस रूप में उसके सामने ला खड़ा किया।
ये आशीर्वाद है एक माँ का…. अपने बेटे को।” ये आशीर्वाद है एक माँ का…. अपने बेटे को।”